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Diwali/दीपावली/दिवाली के महापर्व में पांच त्योहार मनाए जाते हैं और इनकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। धनतेरस के बाद छोटी दिवाली या नरक चौदस का पर्व मनाया जाता है। इसके बाद दिवाली का पर्व मनाया जाता है, फिर गोवर्धन पूजन और अंत में भैया दूज मनाया जाता है। आइए जानते हैं दीपावली के महापर्व का महत्व और पांचों दिनो के पर्व का महत्व
Diwali | दीपावली: पाँच दिनों का उत्सव
भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से पूर्णिमा तिथि तक चलने वाला यह अद्वितीय पर्व दीपावली देशवासियों के लिए एक बहुत बड़ा उत्सव है। दीपावली को “लक्ष्मी पूजा” भी कहा जाता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सामाजिक अर्थ समेत कई महत्वपूर्ण परंपराएं शामिल हैं।
दीपावली एक स्वच्छता अभियान के रूप में जाना जाता है। इस दिन घरों की विशेष रूप से साफ-सफाई की जाता है। लोग उबटन से स्नान करके नए-नए कपड़े पहनते हैं, और घर-घर में प्रति वर्ष साफ़-सुथराई के माध्यम से नए आरंभ का स्वागत करते हैं। इस समय दीपों को जलाना, रंगोली बनाना, माता लक्ष्मी की पूजा करना, मिठाई बाँटना, स्वादिष्ट पकवान बनाना और नई चीजें खरीदना इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
1. पहला दिन: धनतेरस (धनत्रयोदशी) | Dhanteras
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दीपावली का आरंभ धनतेरस के त्योहार से होता है। इस दिन लोग धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए धन्य अष्टलक्ष्मी की पूजा करते हैं। धनतेरस के दिन सोने, चांदी और अन्य धन की खरीदारी की जाती है ताकि लोग आने वाले दिनों में धन का आदर्श बना सकें।
2. दूसरी दिन: नरक चतुर्दशी | Naraka Chaturdashi
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दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है, जिसे छोटे नरकासुर की मौत के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग नरकासुर की पूजा करते हैं और अपने घरों को सफाई करते हैं, जिससे सत्ता और पौराणिक अर्थ में शुभता बनी रहे।
3. तीसरा दिन: दीपावली (लक्ष्मी पूजा) | Deepawali Laxmi Puja
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तीसरे दिन को सबसे महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। इस दिन लोग घर को दीपों से सजाते हैं और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। लक्ष्मी पूजा का उद्दीपन होता है और लोग अपने घरों को रंगीनी दीपों से सजाकर उसमें लक्ष्मी माता को आमंत्रित करते हैं।
4. चौथा दिन: गोवर्धन पूजा | Govardhan Puja
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चौथे दिन को गोवर्धन पूजा कहा जाता है, जिसमें गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन गायों का पूजन भी किया जाता है और उन्हें समर्पित किया जाता है।
5. पाँचवा दिन: भैया दूज | Bhai Dooj
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पाँचवे दिन को भैया दूज कहा जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंका वध करती हैं और उन्हें खास भोजन के साथ आशीर्वाद देती हैं। इस दिन का महत्व भाई-बहन के प्यार और सबसे कठिन परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ देने में है।
दीपावली के पाँच दिनों का यह उत्सव भारतीय सामाजिक संस्कृति में आपसी सजगता, प्रेम, धर्म और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसे खुशियों और प्रकाश का पर्व माना जाता है, जिसमें लोग अपने आत्मा को पवित्रता और सजीवता के साथ भरते हैं।